भारत देश ... जहां पर जल को 'जीवन' कहा जाता है, जो वैश्विक स्तर पर सत्य भी है परंतु इस "जीवन" की स्थिति में हमारे देश और विदेशों में कितना अंतर हैं। हमारे देश में नदियों का पानी दिन प्रतिदिन प्रदूषण की चपेट में आता जा रहा है और इसका श्र्येय किसी एक को नहीं वरन पूरे देश की जनता को जाता हैं । हमारे घरों से जाने वाला अपशिष्ट एवं कारखानों से निकलने वाला रसायनिक एवं प्रदूषित जल तथा इसी प्रकार के विभिन्न स्रोतों से निकलने वाला वेस्टेज, जिसका संबंध सीधे तौर पर नदियों से, नदी के जल को अत्यंत हानि पहुंचाता है जिसका सीधा असर हमारे पर्यावरण एवं स्वास्थ्य पर पड़ता हैं। इन सभी विभिन्न कारणों से हमारे नदियों में बहने वाला जल ,जिस की गुणवत्ता लगातार गिरती जा रही है, कुछ नदियाँँ ऐसी भी हैं जिनमें ऑक्सीजन की मात्रा तय सीमा से बहुत ज्यादा कम है, यहां तक की यमुना नदी में यह मात्रा शून्य है। एक व्यक्ति को जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन, हमारे पर्यावरण अर्थात पेड़ पौधों से मिल जाती है। परंतु जल में रहने वाले जीव जंतु एवं विभिन्न प्रकार के छोटे-छोटे पौधे, जो पारिस्थितिकी के एक ...