SAVE NATURE

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  अभी तक मानव की। गतिविधियों का प्रभाव। व्यापक रूप से   मानव अनुकूल भूखंड पर देखा गया है। परन्तु प्रस्तुत हालिया रिपोर्ट से यह ज्ञात होता है।  कि कार्बन उत्सर्जन के चलते। पृथ्वी के दो बड़े हिमखंड? आर्कटिक एवं अंटार्कटिक क्षेत्र में निवास करने वाले जीवो पर इसका प्रभाव खुले तौर पर देखने को मिला है। जलवायु परिवर्तन से यहाँ की जैव विविधता प्रभावित हुई है। अंटार्कटिका महाद्वीप में पाए जानेवाले ध्रुवीय भालू की संख्या में गिरावट दर्ज की गई। ये स्थिति  आर्कटिक क्षेत्र की भी है।  एक दशक में यहाँ पाए जाने वाले भालुओं की संख्या में 20 से 30 प्रतिशत की कमी देखी गई। समुद्री बर्फ़ जो इनके जीवन अस्तित्व के लिए आवश्यक है।  बढ़ते तापमान के कारण पिघल रही है जो यहाँ के पारिस्थितिकी के लिए एक खतरा है।  ध्रुवीय भालुओं का मुख्य भोजन यहाँ पर पाए जाने वाली सील पर निर्भर है। जिसकी संख्या में भी कमी देखी गई। बर्फ़ के पिघलने से यहाँ की जैव विविधता में असामयिक परिवर्तन देखने को मिल रहा है। अंटार्कटिक महाद्वीप में एम्परर पैंग्विन के विलुप्त होने की संभावना जताई गई है। ...

कविता

रहमत की रमावत मे सिमटी चली आई हैं,
 क्या फिर छोड़ देने का इरादा है, ऐ  जिंदगी  ,
  किस तरफ जायेगी  कुछ इशारा तो कर , 
 शायद कुछ जिद्दत सा कर दू ,
 तेरे इस सफर का मैं भी मुसाफिर हूं ,
 यूँँ जुदा न समझ , ऐ जिंदगी ,

मैंने देखा हैं तुझे तड़के निकलते हुए ,
क्या तुझे खौंफ नहीं इस दाह का 
 
हरारत कैसीं ऐ जिंंदगी 
मुझे दिन के सूरज की चाल लगती हैं ,
चाँद तो दोपाहर में भी निकलता हैं ,
गम किस बात का सूरज भी डूबेगा और शाम भी होगी ,
दीदार कर पायेगी  ऐ जिंदगी ,उस शाम का 
शाम होने पर  या यूंं ही सिमट जायेगी ,

कोइ शाम ऐसी भी हो ,
 जिसके साये में आराम करती हैं तमाम जिंदगीं ,
चाहत मेरी भी हैं  एक ऐसी ही शाम की ,
तेरा क्या इरादा हैं ऐ जिंदगी  कुछ इशारा तो कर ,
मुख्त़सर सा वक्त़ ,आसमा पर चाँद भी था  और पतंगे भी 
तारे अभी भी सूरज की कैद में हैं
क्षितिज पर नजर आ रहा सुर्खं रंग ,मगर सबब अंंजान सा ,
 कुछ समय बाद.......
रात की झलक नजर आने लगी ,आसमा पर तारों की चादर के साथ
जीं भर के देखा उस रात मैंने चाँद को अतीत का हिसाब समेटे था।।
तेरा क्या इरादा हैं ,ऐ जिन्दगी .......


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