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  अभी तक मानव की। गतिविधियों का प्रभाव। व्यापक रूप से   मानव अनुकूल भूखंड पर देखा गया है। परन्तु प्रस्तुत हालिया रिपोर्ट से यह ज्ञात होता है।  कि कार्बन उत्सर्जन के चलते। पृथ्वी के दो बड़े हिमखंड? आर्कटिक एवं अंटार्कटिक क्षेत्र में निवास करने वाले जीवो पर इसका प्रभाव खुले तौर पर देखने को मिला है। जलवायु परिवर्तन से यहाँ की जैव विविधता प्रभावित हुई है। अंटार्कटिका महाद्वीप में पाए जानेवाले ध्रुवीय भालू की संख्या में गिरावट दर्ज की गई। ये स्थिति  आर्कटिक क्षेत्र की भी है।  एक दशक में यहाँ पाए जाने वाले भालुओं की संख्या में 20 से 30 प्रतिशत की कमी देखी गई। समुद्री बर्फ़ जो इनके जीवन अस्तित्व के लिए आवश्यक है।  बढ़ते तापमान के कारण पिघल रही है जो यहाँ के पारिस्थितिकी के लिए एक खतरा है।  ध्रुवीय भालुओं का मुख्य भोजन यहाँ पर पाए जाने वाली सील पर निर्भर है। जिसकी संख्या में भी कमी देखी गई। बर्फ़ के पिघलने से यहाँ की जैव विविधता में असामयिक परिवर्तन देखने को मिल रहा है। अंटार्कटिक महाद्वीप में एम्परर पैंग्विन के विलुप्त होने की संभावना जताई गई है। ...

" कोरोना और पुलिस" 21वीं शताब्दी का एक नया जनमानस

21 वीं शताब्दी में आयी यह सबसे बड़ी महामारी है ,  जिसे covid-19  नाम दिया गया |
नोबेल कोरोना वायरस का प्रकोप भारत में ही नहीं अपितु संपूर्ण विश्व इससे पीड़ित है, सरकारी आंकड़ों की माने तो इस रोग से पीड़ितों की संख्या लगभग दो करोड़ के पास पहुंच गई है तो वही भारत में भी इसकी संख्या लगभग 20 लाख के पास है |
इस दौरान जहां डॉक्टर इस महामारी से प्रत्यक्ष रूप से लड़ रहे हैं तो वहीं पुलिस एवं सुरक्षाकर्मियों का भी अप्रत्यक्ष योगदान महत्वपूर्ण है |
आमजन में व्यंग्य की परंपरा सदियों से रही है ,इस परंपरा का एक उदाहरण -:"कोरोना और पुलिस "

   एक चर्चा के दौरान 'श्रीवास्तव जी ' ने कहा -"भाई हालात जरासर ऐसे हैं ,की सड़क में जाते समय कोरोना से ज्यादा पुलिसकर्मी से बचकर निकलना पड़ता है !",तब वहां खड़े 'जजमान 'बोले -"बड़े भैया हमने सुना है (आश्चर्य भाव से )कुछ लोगों ने तो नये नामों का भी अविष्कार कर डाला जैसे -'बड़का कोरोनावायरस' , '6 फुटी कोरोनावायरस 'और 'दृश्य कोरोनावायरस' |"
जरा ठहरे  ! इस 6 फुटी   कोरोनावायरस को  novel coronavirus  समझने की भूल ना करें 
 जजमान कहते हैं -'श्रीवास्तव जी नोबेल कोरोना वायरस को छोटका कोरोना और अदृश्य कोरोना वायरस कहा गया है '|
हां जनमतानुसार इनके बीच इस विशेषता का अंतर  बताया गया की छोटका कोरोना का रिजल्ट 14 दिन में सामने आता है परंतु इस 6 फुटी कोरोना वायरस का परिणाम इनकी इच्छा अनुसार आता है,(विष्मय के साथ) यें चाहें तो 1 घंटे में ऐसा परिणाम घोषित कर दें कि व्यक्ति 14 दिन तो क्या 6 महीने घर से बाहर ना निकले|

 पर कुछ भी कहें सुरक्षा व्यवस्था जनहित के लिए ही होती है पुलिसकर्मी हमारे हित के लिए कठोर कदम उठाते हैं अतः हमें इनके सराहनीय योगदान की प्रशंसा करनी चाहिए और व्यवस्था बनाए रखने में इनकी मदद करनी चाहिए |



in English
this is the biggest epidemic, which was named Covid-19, which came in the 21st century. The outbreak of Nobel Corona virus is not only in India but the whole world is suffering from it, if the number of victims from this disease has reached nearly two crore, then it is also nearly 20 million in India. During this time, where the doctor is fighting directly from this epidemic, indirect contributions of police and security personnel are important. An example of the tradition has been for centuries - "Koreona and Police" during a discussion - "Shrivastav ji 'said -" Brothers are like a jarasar, when they go to the road, get more policemen from Corona. Just stay! Do not forget to understand this 6-footy coronavirus Novel Coronavirus, Jajman says - 'Shrivastav ji Nobel Corona virus has been called Chhotka Corona and invisible Corona Virus' | Yes, according to the reference, the difference between this specialty was described that the result of the Chhota Corona comes out in 14 days, but the result of this 6-footed Corona virus comes according to their desire, (with the ability), if you want to declare such results in 1 hour. On anything, security system is only for public interest, policemen take harsh steps for our interest, so we should praise their admirable contributions and help them in maintaining the system.

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