SAVE NATURE
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अभी तक मानव की। गतिविधियों का प्रभाव। व्यापक रूप से मानव अनुकूल भूखंड पर देखा गया है। परन्तु प्रस्तुत हालिया रिपोर्ट से यह ज्ञात होता है।
कि कार्बन उत्सर्जन के चलते। पृथ्वी के दो बड़े हिमखंड? आर्कटिक एवं अंटार्कटिक क्षेत्र में निवास करने वाले जीवो पर इसका प्रभाव खुले तौर पर देखने को मिला है।
जलवायु परिवर्तन से यहाँ की जैव विविधता प्रभावित हुई है। अंटार्कटिका महाद्वीप में पाए जानेवाले ध्रुवीय भालू की संख्या में गिरावट दर्ज की गई। ये स्थिति आर्कटिक क्षेत्र की भी है।
एक दशक में यहाँ पाए जाने वाले भालुओं की संख्या में 20 से 30 प्रतिशत की कमी देखी गई। समुद्री बर्फ़ जो इनके जीवन अस्तित्व के लिए आवश्यक है। बढ़ते तापमान के कारण पिघल रही है जो यहाँ के पारिस्थितिकी के लिए एक खतरा है।
ध्रुवीय भालुओं का मुख्य भोजन यहाँ पर पाए जाने वाली सील पर निर्भर है। जिसकी संख्या में भी कमी देखी गई। बर्फ़ के पिघलने से यहाँ की जैव विविधता में असामयिक परिवर्तन देखने को मिल रहा है। अंटार्कटिक महाद्वीप में एम्परर पैंग्विन के विलुप्त होने की संभावना जताई गई है।
जीवों के साथ- साथ यहाँ की वनस्पतियो में भी गिरावट देखने को मिली। यहाँ पर मिलने वाले दो फूलों वाले पौधे, हार्डी मास, लाइकेन इत्यादि वनस्पतियो में खतरा मंडरा रहा है।
इस समस्या को गंभीरता से लेने की जरूरत है। पारिस्थितिकी तंत्र एक चक्रीय व्यवस्था है यदि इस के किसी भी चक्र में नियंत्रित सीमा से अधिक छेड़छाड़ एवं लापरवाही की गई। तो वह दिन दूर नहीं जब मानव अपने विकास को छोड़कर अपने अस्तित्व के लिए लड़ाई लड़ेगा।
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