तेरे किस्से

1. अरसे पहले एक तस्वीर खींची थीं जो  देख कर लगा दूर किसी खिड़की से झांकती है वो मुझको  मैं भी गया अपने हिस्से की खिड़की खोलने ना जाने कब मोबाइल स्क्रीन बंद हुई तो महसूस हुआ  " वो खिड़की कब की बंद हो चुकी है "  2. यूं तो कुछ पढ़ने  का मन नहीं है  फिर भी तुम लिखना  मै जरूर पढूंगा। 3.   वो आइने के सामने रुबरु होकर भी खुद को मोबाइल स्क्रीन में देखते हैं।

कविता

(1)

 "बारिश का मजा तब है ,जब जिंदगी  waterproof  ना हो"

 पक्के मकानों की छतें बारिशों में बदला नहीं करती ,

ये तो गांव की मासूमियत है साहब,

जिंदा रखा है खपरैल के वजूद  को अभी तक,

वरना मिले तो मिट्टी की भी चलती हैं ।।


 

( 2.)तू गगन का एक तारा ,है अनोखा सबसे प्यारा।

किस गगन में छुप गया तू, देख तो संसार सारा।

तुझको पुकार है ये कहता, आजा यारा आजा यारा।

सर्दी की रुत है आई,साथ में गलनांक लाई।

गल तो सुन ले अब हमारी, गलन से आत्मा भी हारी।

बुड्ढे भी तुझसे हैं कहते, चाय ना हमको है प्यारी।

सुनले ये विनती हमारी- सुनले ये विनती हमारी।

( 3.)

सैर कर दुनिया की परिंदे ,रुत की चिंता तू न कर।

 रुत कि अब औकात क्या, जो तेरे पंखों को दे कतर।

 रुत है सर्दी की लेकिन ,कोहरा भी अब छा गया।

 तेरे चल पंखों को देखकर, मौसम भी घबरा गया।

 चल तू अविरल, संसार के इस पथ सरल पर।

 वृक्ष भी तुझसे है कहते, रुक न जाना तू कहीं थक-कर।

हौसला रख ,तेरे पंखों में है वो दम ।

हर मंजिल मिल जाएगी, रखता जा तू एक एक कदम।

Nai rahe

Comments

Popular posts from this blog

तेरे किस्से

" पुस्तक एक आक्षरिक सत्य"लेखक एवं इतिहास !

तेरे किस्से