तेरे किस्से

1. अरसे पहले एक तस्वीर खींची थीं जो  देख कर लगा दूर किसी खिड़की से झांकती है वो मुझको  मैं भी गया अपने हिस्से की खिड़की खोलने ना जाने कब मोबाइल स्क्रीन बंद हुई तो महसूस हुआ  " वो खिड़की कब की बंद हो चुकी है "  2. यूं तो कुछ पढ़ने  का मन नहीं है  फिर भी तुम लिखना  मै जरूर पढूंगा। 3.   वो आइने के सामने रुबरु होकर भी खुद को मोबाइल स्क्रीन में देखते हैं।

One night ( एक रात )

महसूस किया है कभी 
  अंधेरी रात को 
एक विरान सड़क पर
 हवा की सरसराहट के साथ
 कीट-पतंगो की आवाजे
 साथ थी मेरे उस रात 
महसूस किया है कभी
इम्त़हा तब हुई , इन्कार कर दिया
जब अक्स ने साथ चलने से 
या कसूर था उन बादलो का 
जिसके घेरे में था वह चाँद 
जिम्मेदार था जो मेरे हमराह.का
महसूस किया है कभी.            Yatish.C

Comments

Popular posts from this blog

तेरे किस्से

" पुस्तक एक आक्षरिक सत्य"लेखक एवं इतिहास !

तेरे किस्से