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Showing posts from May, 2021

SAVE NATURE

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  अभी तक मानव की। गतिविधियों का प्रभाव। व्यापक रूप से   मानव अनुकूल भूखंड पर देखा गया है। परन्तु प्रस्तुत हालिया रिपोर्ट से यह ज्ञात होता है।  कि कार्बन उत्सर्जन के चलते। पृथ्वी के दो बड़े हिमखंड? आर्कटिक एवं अंटार्कटिक क्षेत्र में निवास करने वाले जीवो पर इसका प्रभाव खुले तौर पर देखने को मिला है। जलवायु परिवर्तन से यहाँ की जैव विविधता प्रभावित हुई है। अंटार्कटिका महाद्वीप में पाए जानेवाले ध्रुवीय भालू की संख्या में गिरावट दर्ज की गई। ये स्थिति  आर्कटिक क्षेत्र की भी है।  एक दशक में यहाँ पाए जाने वाले भालुओं की संख्या में 20 से 30 प्रतिशत की कमी देखी गई। समुद्री बर्फ़ जो इनके जीवन अस्तित्व के लिए आवश्यक है।  बढ़ते तापमान के कारण पिघल रही है जो यहाँ के पारिस्थितिकी के लिए एक खतरा है।  ध्रुवीय भालुओं का मुख्य भोजन यहाँ पर पाए जाने वाली सील पर निर्भर है। जिसकी संख्या में भी कमी देखी गई। बर्फ़ के पिघलने से यहाँ की जैव विविधता में असामयिक परिवर्तन देखने को मिल रहा है। अंटार्कटिक महाद्वीप में एम्परर पैंग्विन के विलुप्त होने की संभावना जताई गई है। ...

" पुस्तक एक आक्षरिक सत्य"लेखक एवं इतिहास !

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  प्राचीन समय में विभिन्न लोगों की परंपरा कैसी थी, वह क्या खाते थे ,क्या पहनते थे या उनकी  दिनचर्या कैसी थी वह एक दूसरे से बात करने के लिए किस भाषा का प्रयोग करते थे ?  इन सभी प्रश्नों का जवाब  भले ही विद्वानों द्वारा रचित पुस्तकों से मिल जाए लेकिन इन पुस्तकों के शत प्रतिशत सत्य होने की गारंटी तो यह विद्वान स्वयं भी नहीं लेते हैं। फिर पाठक न जाने क्यों पाठ्य -पुस्तकों को सत प्रतिशत  सत्य मानता है । बेशक!  प्रमाणों को ताक में रखकर एक उचित, क्रमागत एवं सही वैज्ञानिक जानकारी प्रदान करने का प्रयास एक लेखक का होता है। परंतु इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि लेखक तथ्यों के साथ-साथ यह देखने का प्रयास अवश्य करता होगा की वर्तमान समय में प्रसंगिक क्या है।  इस आधार पर क्या वह अपनी मूल सामग्री में थोड़ा -बहुत बदलाव ना करता होगा । परंतु इस बदलाव से किसी पाठक का अहित ना होने की दशा को ध्यान में रखकर। इस प्रकार से कुछ मूल तत्व जो अप्रासंगिक होंगे उनको पाठकों से दूर भी किया जाता होगा । यहां तक किसी सही जानकारी से भी पाठक को दूर किया जा सकता हो। हम जिस समाज में र...