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Showing posts from August, 2022

SAVE NATURE

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  अभी तक मानव की। गतिविधियों का प्रभाव। व्यापक रूप से   मानव अनुकूल भूखंड पर देखा गया है। परन्तु प्रस्तुत हालिया रिपोर्ट से यह ज्ञात होता है।  कि कार्बन उत्सर्जन के चलते। पृथ्वी के दो बड़े हिमखंड? आर्कटिक एवं अंटार्कटिक क्षेत्र में निवास करने वाले जीवो पर इसका प्रभाव खुले तौर पर देखने को मिला है। जलवायु परिवर्तन से यहाँ की जैव विविधता प्रभावित हुई है। अंटार्कटिका महाद्वीप में पाए जानेवाले ध्रुवीय भालू की संख्या में गिरावट दर्ज की गई। ये स्थिति  आर्कटिक क्षेत्र की भी है।  एक दशक में यहाँ पाए जाने वाले भालुओं की संख्या में 20 से 30 प्रतिशत की कमी देखी गई। समुद्री बर्फ़ जो इनके जीवन अस्तित्व के लिए आवश्यक है।  बढ़ते तापमान के कारण पिघल रही है जो यहाँ के पारिस्थितिकी के लिए एक खतरा है।  ध्रुवीय भालुओं का मुख्य भोजन यहाँ पर पाए जाने वाली सील पर निर्भर है। जिसकी संख्या में भी कमी देखी गई। बर्फ़ के पिघलने से यहाँ की जैव विविधता में असामयिक परिवर्तन देखने को मिल रहा है। अंटार्कटिक महाद्वीप में एम्परर पैंग्विन के विलुप्त होने की संभावना जताई गई है। ...

स्वतंत्रता दिवस कविता

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एक क्रांति की धार में तेजी से बढ़ी निशानी एक से बढ़कर एक वीर, सबने लड़ने की ठानी। विद्रोह किया संघार हुआ, गोरों का वापस वार हुआ। फिर भी हार न मानी, थे वीर बड़े बलिदानी।   व्यापारी का लालच देकर, शासन करने आए थे। साम, दाम, दंड भेद लगाकर दास हमें बनाए थे। गुलामी की बेड़ी में, जकड़ी मानव की काया थी। कुछ लोग जो बूढ़े थे कहते, सब प्रभु की माया थी।   देख रहम की स्थिति गर्म खून उफलाया था। क्या होती स्वतंत्र विजय फिर वीरों ने सिखलाया था। देश शान के वास्ते वो घर से नाता तोड़ दिए। स्वतंत्र भारत का सपना लेकर संग्राम में खुद को मोड़ दिए। डरें नहीं निर्भीक थे वो। स्वतंत्रता की चीख थी वो। उठी चीख हुंकार बनी। चूड़ियां भी तब तलवार बनी। साड़ी में लिपटे मौन रूप, अब देवी का अवतार बनी   अंग्रेजों के छक्के छूटे, वीरों की तकरार से।  समझ गए अब कुछ न होगा हमरी इस सरोकार से। सनातन का तीर था वो, जो निकला था कमान से हो गए निछावर देश की खातिर सब बड़े ही शान से।   शोक व्यक्त कर देते है हम सब वीरों की कुर्बानी पर। बस दो दिन की लहर है ये हम सब की नादानी पर। पावन पर्व आजादी का। स्वतंत्रता दिवस कहलाता है। ...